लोक देवता बाबा रामदेव जी की जीवनी Baba Ramdev Ji Curriculum vitae in Hindi: लोक देवता बाबा रामदेव जी एक समाज सुधारक और लोक देवता थे | उन्होंने अपने द्वारा किए गए कर्मों से समाज के लोगों के जीवन में परिवर्तन लाया था | हम आपको बता दे कि उसे समय समाज में कई प्रकार की सामाजिक आडंबर थे जिसे उन्होंने समाप्त किया | उन्होंने अपने क्षेत्र में स्थित भैरव राक्षस के आतंक से लोगों को मुक्त करवाया था इसके बाद ही उन्हें लोक देवता बाबा रामदेव के नाम पुकारे जाने लगा | हम आपको बता दें कि बाद में उन्होंने पोकरण को अपने भतीजी को दहेज में दे दिया और इस स्थान पर ही लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि बनाई गई है यहां पर लोग बाबा लोक देवता के दर्शन करने के लिए आते हैं | हम आपको बता दें कि लोग देवता बाबा रामदेव की समाधि जैसलमेर के रुणिचा (रामदेवरा) नामक स्थान में स्थित है |
लोक देवता बाबा रामदेव समाधि स्थल पर हजारों की संख्या में लोग प्रत्येक साल यहां पर आते हैं | ऐसे में लोगों के मन में लोक देवता बाबा रामदेव जी के जीवन के बारे में जानने की उत्सुकता तेजी के साथ बढ़ रही है कि लोक देवता बाबा रामदेव कौन है?
प्रारंभिक जीवन, परिवार, विवाह, भैरव राक्षस का वध, बाबा रामदेव जी के बचपन की बाल लीलाएं, बाबा रामदेव जी की समाधि, ऐसे तमाम चीजों के बारे में जानना चाहते हैं तो आज के आर्टिकल में हम आपको Baba Ramdev Ji Biography in Hindi और बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहासके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे चलिए जानते हैं:-
पूरा नाम | बाबा रामदेव जी महाराज |
प्रसिद्ध किस रूप में है | पीरों के पीर रामापीर, रामा धणी, Baba Ramdev |
जन्म | विक्रम सवंत 1409 भाद्रपद शुक्ल द्वितीया |
समाधि स्थल का नाम | रामदेवरा 33 वर्ष की उम्र में उन्होंने समाधि ले लिया था | |
जन्म स्थान | उण्डू काश्मीर बाड़मेर |
विवाह | नैतलदे के साथ विक्रम संवत् 1426 |
सम्प्रदाय/पंथ | कामड़िया |
जाति | तंवर-वंशीय राजपूत |
धर्म | हिन्दू |
घोड़े का नाम | लीलो |
प्रमुख मंदिर | रूणिचा-रामदेवरा-जैसलमेर |
प्रतीक चिन्ह | पगलिया |
(बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास)
Baba Ramdev Ka Purana Itihas: लोक देवता बाबा रामदेव जी को अर्जुन के वंशज बन जाता है साथ में इन्हें रामदेवजी ‘ रामसा पीर’, ” रूणीचा रा धणी’, ‘ बाबा रामदेव’, आदि नाम से इन्हें पका जाता है हम आपको बता दें कि हिंदू इन्हें भगवान श्री कृष्ण का अवतार समझ कर पूजन करते हैं और वही मुसलमान इन्हें रामसा पीर के रूप में इनको पूजते है। हम आपको बता दें कि लोक देवता बाबा रामदेव ने कभी भी धर्म और जाति का भेदभाव नहीं किया उनकी नजर में सभी लोग ईश्वर की संतान थे यही वजह है कि उनकी लोकप्रियता हिंदू मुसलमान दोनों धर्म में ज्यादा थी और उन्होंने दोनों धर्म के विकास उत्थान के लिए लगातार काम किया यही वजह है कि हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए लोक देवता बाबा रामदेव पूजनीय योग्य हैं | हम आपको बता दें कि बाबा रामदेव के चमत्कार को पर्चा के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ होता है चमत्कारी अवतार के रूप में अवतरित होना हम आपको बता दे की इनके समाधि स्थल रामसरोवर कीपाल नाम से जाना जाता है |
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लोक देवता बाबा रामदेव जी का जन्म भाद्रपद के शुक्ला दूज को विक्रम संवत 1409 में राजस्थान प्रांत में स्थित बाड़मेर जिले के ऊँडूकासमेर गाँव के राजपूत परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम अजमाल जी तंवर तथा माता का नाम मैणादे था। उन्होंने अपनी शिक्षा दीक्षा अपने गुरु मल्लिनाथ जी से प्राप्त किया था हम आपको बता दें कि उसे समय पोखरण में एक अत्याचारी व्यक्ति रहा करता था जिसका नाम भैरव था उसके आतंक से क्षेत्र के लोग काफी डरे हुए थे ऐसे में उन्होंने बाल अवस्था में ही उसे अत्याचारी व्यक्ति भैरव का अंत किया और वहां के क्षेत्रीय रहने वाले निवासियों को आतंक और डर से से मुक्त दिलाया था |
पिता का नाम | अजमाल जी तंवर |
माता का नाम | मैणादे |
भाई का | वीरभद्र |
बहन का | लासा व सुगना |
पत्नी का नाम | नेतलदे/ निहालदे |
बच्चों का नाम | – |
बाबा रामदेव जी का विवाह अमरकोट (वर्तमान पाकिस्तान में) सोढ़ा, दलसिंह की सुपुत्री नेतलदे/ निहालदे के साथ हुआ था | हम आपको बता दें कि उनकी पत्नी जन्मजात विकलांग थी उसके बावजूद भी उन्होंने उनसे विवाह करने का फैसला किया और जब शादी के फेर लग रहे थे तो लोगों ने पत्नी के लिए बैसाखी लाई उन्होंने कहा कि बैसाखी की जरूरत नहीं है उन्होंने अपना हाथ पड़कर अपने पत्नी के साथ शादी के साथ तेरे लिए और उनकी पत्नी चलने लगी |
लोक देवता बाबा रामदेव की दो सगी बहनें थीं जिनका नाम सुगना बाई और लच्छाबाई था वह अपने बहनों से बहुत ज्यादा प्यार करते थे हम आपको बता दें कि उनकी बहन सुगना बाई का विवाह पूंगलगढ़ के पड़िहार राजवंश में कुंवर उदयसिंह पड़िहार के साथ हुआ था हम आपको बता दे की ससुराल में उनकी बहन सुगना बाई को काफी कष्ट पहुंचाया जाता था इसके पीछे की वजह से कि जब सुगना बाई के ससुराल के लोगों को मालूम चला कि उनके भाई रामदेव निम्न जाति के लोगों के साथ बैठकर कीर्तन भजन करते हैं तो उन्होंने सुगना बाई को अपने भाई के घर जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया | उनकी दूसरी बहन लाछा बाई के बारे में बात करें तो वह लोक देवता बाबा रामदेव जी की मुंह बोली बहन है बचपन कल में जब रामदेव खेल रहे थे उन्हें पेड़ के नीचे ही एक नवजात लड़की मिली थी जिसे उन्होंने घर लाया और अपनी बहन बना लिया जिनका नाम लाछा बाई रखा गया | हम आपको बता दें कि उन्होंने अपना पूरा जीवन राम के भक्ति में समर्पित कर दिया हुआ बाबा लोक देवता रामदेव जी को ही राम का अवतार मानती थी और उनकी पूजा करती थी |
Bherav Rakshsh Ka Vadh : हम आपको बता दे की पोकरण में भैरव नाम के नाम के एक राक्षस का काफी आतंक था जिससे वहां के रहने वाले लोग काफी परेशान थे ऐसे में लोक देवता बाबा रामदेव ने भगवा रक्षा का वध किया और वहां के लोगों आतंक और डर से से मुक्त करवाया जिसके कारण पोकरण में लोगों ने उन्हें लोक देवता बाबा रामदेव के नाम से पुकारने लगे |
बाबा रामदेव जी के बचपन और उनके बाल लीलाओं के बारे में बात करें तो जन्म के साथ ही उन्होंने अपनी बाल लीला शुरू कर दी थी कहा जाता है की जन्म के सारे सारे महल में जल से भरे बर्तन दूध में बदल गए थे घटिया बनने लगी थी आकाशवाणी होने लगा था आंगन में कुमकुम के पद चिन्ह अपने आप बन गए थे एक बार मां उन्हें झूला में झूल कर चली गई हम आपको बता दें कि इस दौरान दूध उफनने लगा तो बाबा रामदेव जी ने अपने हाथ के इशारे से दूध गिरने से बचा लिया बाल अवस्था में उन्होंने अपने पिता से घोड़े पर बैठने की जीत की और साथ कहा कि उन्हें कपड़े का घोड़ा चाहिए पिता ने उनकी मांग को माना और उन्हें घोड़े का कपड़ा दे दिया और जैसे ही वह घोड़े के कपड़े पर बैठे घोड़ा अपने आप उड़ने लगा बचपन कल में उन्होंने भैरव नाम के एक राक्षस का वध किया था हम कह सकते हैं कि बाल वास्तव में उन्होंने जिस प्रकार की बाल लीलाएं कि वह इस बात के प्रमाण है कि लोक देवता रामदेव भगवान श्री कृष्ण के अवतार थे |
लोक कथाओं में इस बात का विवरण दिया गया है कि बाबा रामदेव जी का जन्म भैरव राक्षस का वध करने के उद्देश्य से ही हुआ था | उसे क्षेत्र में रहने वाले लोग काफी परेशान थे क्योंकि वह लोगों को भी खा जाता था | बाल अवस्था में बाबा रामदेव जी अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे और जाकर कुटिया में अपने गुरु के द्वारा शिक्षा ग्रहण करने लगे तभी भैरव राक्षस ने कुटिया में आ गया | लोक देवता बाबा रामदेव जी को बचाने के लिए उनके गुरु बालीनाथ उन्हें गुदड़ी में छुपा लेते हैं | इसके बाद राक्षस उसे खींचने की कोशिश करता है और जितनी खींचता है उतनी ही बड़ी होती जाती रहती थी लास्ट में और थक्कर भागने लगता है इसके बाद लोग देवता रामदेव जी घोड़ा पर राक्षसका पीछा करते हैं और एक गुफा में पहुंच जाते हैं जहां पर उनके द्वारा भैरव नाम के राक्षश का वध कर दिया जाता है |
पौराणिक मान्यताओं (बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास) के अनुसार लोक देवता बाबा रामदेव जी के चमत्कारों को पर्चे नाम से के नाम से परिभाषित किया गया है उन्होंने अपने जन्म से लेकर अपने बड़े होने तक कुल मिलाकर 24 चमत्कार किए थे जिनका पूरा विवरण उनकी भजन में आपको मिल जाएगा उन्होंने अपना पहला चमत्कार अपनी माता माँ मैनादे को इन्होने पहला चमत्कार दिखाया इसके अलावा पिताजी को दूसरा चमत्कार उन्होंने दिखाया जब उन्होंने बाबा रामदेव जी को कपड़े का घोड़ा किया तो उन्होंने उसे घोड़े को उड़ा कर दिखाया भैरव जैसे राक्षस का संहार करना सेठ बोहितराज की डूबती नाव उभारकर लक्खी बिनजारा को पर्चा, रानी नेतल्दे को पर्चा, बहिन सुगना को पर्चा, पांच पीरों को पर्चा कुल मिलाकर उन्होंने 24 पर्चे लोगों को दिए हैं इस प्रकार से आप कह सकते हैं कि बाबा रामदेव जी ने अपने जीवन काल में 24 महत्वपूर्ण चमत्कार किए थे |
रुणिचा का मेला (Runicha Fair):-पौराणिक मान्यताओं (बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास) : बाबा रामदेव अवतार का मेला रामदेवरा गाँव जो राजस्थान में स्थित है यहां पर विशाल और भव्य मेला का आयोजन कहता है जिसमें देश और दुनिया से लोग बाबा रामदेव जी के दर्शन करने के लिए आते हैं हम आपको बता दें कि इस मेले का आयोजन लोक देवता बाबा रामदेव जी के जन्मदिन के उपलब्धि में आयोजित किया जाता है | इस दिन यहां पर जगह-जगह पर भंडारे की व्यवस्था की जाती है जिसमें लोगों को प्रसाद वितरण भी किया जाता है | ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति अपने जीवन के दुखों दूर करना चाहता है तो उसे बाबा के दर्शन जरूर करना चाहिए | बाबा जी के जन्म स्थान पर उनका एक बहुत बड़ा मंदिर भी है |
पौराणिक मान्यताओं Baba Ramdev History send down Hindi:(बाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास) के अनुसार मात्र -33 वर्ष की अवस्था में चमत्कारी पुरुष श्री बाबा रामदेव ने समाधि लेने का फैसला किया हम आपको बता दे की समाधि लेने से पहले उन्होंने अपने समाधि स्थल के बारे में लोगों को जानकारी दी ताकि उनकी समाधि बनाई जा सके इस बात की खबर उनकी धर्म वहीं डाली बाई को मिलती है वह भी अपने भाई के साथ समाधि लेने के लिए वहां पर पहुंच जाती है और ऐसा कहा जाता है कि भाई के समाधि लेने से पहले उनकी बहन ने यहां पर समाधि ले लिया था यही वजह है कि जहां पर लोक देवता रामदेव की समाधि है ठीक उसके बगल में उनकी बहन डाली बाई की भी समाधि है | समाधि से पूर्व श्री बाबा रामदेव ने कहा था कि सदैव इस स्थान पर निवास करेंगे |
यहां देखेंबाबा रामदेव जी का पुराना इतिहास | History Of Emerge Baba Ramdev :-
● रामदेवजी का जन्म बाड़मेर जिले के शिव तहसील क्षेत्र में स्थित ऊंडूकासमेर गांव में भाद्रपद शुक्ल दूज, बीज (द्वितीया) को हुआ था।
● इनके पिता का नाम अजमल जी था जो (तंवर वंशीय) माता का नाम मैणादे जिन्हें अर्जुन के वंशज की मानी जाती थी
● रामदेवजी ‘ रामसा पीर’, ” रूणीचा रा धणी’, ”बाबा रामदेव’‘ आदि नाम से जहां जाता है
● इनका विवाह, दलसिंह की सुपुत्री नेतलदे के साथ हुआ था जो जन्मजात विकलांग थी |
● रामदेवजी के भक्तगण मेघवाल जाति कोरिखिया कहा जाता है |
● लोक देवता रामदेव को हिंदू मुस्लिम दोनों ही पूजा करते हैं हिन्दू रामदेवजी को कृष्ण का अवतार मानकर तथा मुसलमानरामसा पीर के रूप में इनकी पूजा करते हैं |
● भाद्रपद शुक्ला द्वितीया ‘ बाबे री बीज (दूज) के नाम से पुकारी जाती है इसी दिन लोक देवता बाबा रामदेव जी का जन्म हुआ था |
● रामदेवरा (रूणेचा) लोक देवता रामदेव बाबा जी का विशाल मंदिर है |
नम्रो भगवते नेतल नाथाय, सकल रोग हराय सर्व सम्पति कराय,
मम मनोभिलाषितं देहि देहि कार्यम् साधय, ॐ नमो रामदेवाय स्वाहा॥
उम्मीद करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया आर्टिकल आपको पसंद आया होगा ऐसे में आर्टिकल संबंधित कोई प्रश्न या सवाल है तो आप हमारे कमेंट बॉक्स में जाकर पूछ सकते हैं हम आपके सवालों का जवाब जरूर देंगे तब तक के लिए धन्यवाद और मिलते हैं अगले आर्टिकल में
लोक देवता
रामदेव जी के घोड़े का नाम क्या था?Ans. बाबा रामदेव सवारी के लिए घोड़े का उपयोग करते थे करते थे। उनके घोड़े का नाम लीला घोड़ा था।
बाबा राम देव जी एकमात्र लोक देवता थे, जो कवि भी थे। इनके द्वारा चैबीस बाणिया” रचना लिखी गई थी हम आपको बता दें कि इनका प्रतीक चिन्ह पगल्ये” है।
रामदेवरा मंदिर जैसलमेर का एक मशहूर मंदिर है इसके बारे में कहा जाता है कि यहीं पर लोक देवता रामदेव जी ने समाधि ली थी इसके बाद बीकानेर के महाराज महाराजा गंगा सिंह ने इस स्थल को समाधि के रूप में परिवर्तित किया था |
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